कौन हो तुम ?
छिपकर साधना करती, एकलव्य हो तुम
निसर्ग नहीं,रस से भरा,एक काव्य हो तुम ॥
किरणों की लेखनी से,पत्तों पर,सुबह-सवेरलिखती कहानी बूंदों की, कुछ लिखे बगैरगीत सुनाती मंद, मंद सी सुरभित समीरतरुवर सर हिलाते, भुला के तन की पीरकूकी-कोक-पपीहरे ने छेड़ी,यूँ मधुर तानक्षण भर के लिए जैसे, जड़ में होवे प्राणरस-भाव उड़े सब ऐसे,ज्यों नीड के पंछीविचारों के आकाश में,तरते हैं मन पंछी
उन्मुक्त वर्तमान हो या,रसभीना सा अतीत हो तुम
निसर्ग नहीं,नव प्राण लिया,सुरीला,नव गीत हो तुम ॥
मचल उठी सरिता,तब भीग गए दुकूलराग प्रकृति का सुन, झूम उठे नव फूलना जाने किस विरहिन ने लिया आलापवेदना-बादल घिर घिर आये अपने आपवर्षा सुंदरी ने धीरे से,यूँ खोला केशपाशयूँ झटका अलकों को,शरमा उठे पलाशउधर गाँव की धरती से,आई सौंधी एक गंधफिर कवि ने 'आनंद' ले,फिर रचे ये नव छंद
कृष्ण वियोग में विरहिन,प्रेम रंगी राधिका हो तुम
निसर्ग नहीं भक्ति-नीर से भीगी साधिका हो तुम ॥
आनंद ताम्बे
१९९५
***Meanings***
निसर्ग = प्रकृति, Nature
किरणों की लेखनी से.…लिखती कहानी बूंदों की, कुछ लिखे बगैर = ओस की बूंदों की कहानी जिसमे उसका जन्म लेना, पत्तों पर बैठना, थोड़ा सा समय बिताना और मर जाना लिखा है. ये कहानी अप्रत्यक्ष रूप (indirectly) से सूरज की किरणों ने पत्तों पर लिखी है.
समीर = हवा, air
मंद = धीमी, slow
तरुवर = पेड़, tree
पीर = दर्द, Pain
जड़ = nonliving
नीड = घोसला, nest
सरिता = नदी, river
दुकूल = किनारे, banks of river
केशपाश = बंधे हुए बाल, Neatly tied hair
अलकों = ज़ुल्फ़ें, बाल, hair
पलाश = सुगन्धित लाल फूलों का एक पेड़, a tree called as the flame of the Forest due to red colored flowers. In Sanskrit this flower is extensively used as a symbol of the arrival of spring and the color of love.
नीर = जल, पानी, water