Sunday, September 13, 2015

​कौन हो तुम ?

कौन हो तुम ?
 
छिपकर साधना करती, एकलव्य हो तुम  
निसर्ग नहीं,रस से भरा,एक काव्य हो तुम ॥ 

किरणों की लेखनी से,पत्तों पर,सुबह-सवेर 
लिखती कहानी बूंदों की, कुछ लिखे बगैर 
गीत सुनाती मंद, मंद सी सुरभित समीर 
तरुवर सर हिलाते, भुला के तन की पीर 
कूकी-कोक-पपीहरे ने छेड़ी,यूँ मधुर तान 
क्षण भर के लिए जैसे, जड़ में होवे प्राण
रस-भाव उड़े सब ऐसे,ज्यों नीड के पंछी 
विचारों के आकाश में,तरते हैं मन पंछी 

उन्मुक्त वर्तमान हो या,रसभीना सा अतीत हो तुम 
निसर्ग नहीं,नव प्राण लिया,सुरीला,नव गीत हो तुम ॥

मचल उठी सरिता,तब भीग गए दुकूल 
राग प्रकृति का सुन, झूम उठे नव फूल 
ना जाने किस विरहिन ने लिया आलाप 
वेदना-बादल घिर घिर आये अपने आप 
वर्षा सुंदरी ने धीरे से,यूँ खोला केशपाश 
यूँ झटका अलकों को,शरमा उठे पलाश 
उधर गाँव की धरती से,आई सौंधी एक गंध 
फिर कवि ने 'आनंद' ले,फिर रचे ये नव छंद 

कृष्ण वियोग में विरहिन,प्रेम रंगी राधिका हो तुम 
निसर्ग नहीं भक्ति-नीर से  भीगी साधिका हो तुम ॥

आनंद ताम्बे  
१९९५  

 
***Meanings***
 
निसर्ग = प्रकृति, Nature 
किरणों की लेखनी से.…लिखती कहानी बूंदों की, कुछ लिखे बगैर = ओस की बूंदों की कहानी जिसमे उसका जन्म लेना, पत्तों पर बैठना, थोड़ा सा समय बिताना और मर जाना लिखा है. ये कहानी अप्रत्यक्ष रूप (indirectly) से सूरज की किरणों ने पत्तों पर लिखी है.
समीर = हवा, air  
मंद = धीमी, slow 
तरुवर = पेड़, tree  
पीर = दर्द, Pain 
जड़ = nonliving
नीड = घोसला, nest 
सरिता = नदी, river 
दुकूल = किनारे, banks of river 
केशपाश = बंधे हुए बाल, Neatly tied hair  
अलकों = ज़ुल्फ़ें, बाल, hair   
पलाश = सुगन्धित लाल फूलों का एक पेड़, a tree called as the flame of the Forest due to red colored flowers. In Sanskrit this flower is extensively used as a symbol of the arrival of spring and the color of love.

नीर = जल, पानी, water