Thursday, October 18, 2012

भोली सी गुडिया !

"परिधि, परिधि!!! कहाँ हो तुम, मेरी शोना! कहाँ छुप गयी हो? - सलवार-कुर्ती की ओढ़नी कमर पे लपेट के मनीषा ने सब कोनो में जा के देखा,सब दरवाजो के पीछे भी देखा.

"क्या है, माँ?" - आवाज़ तो आई पर परिधि दिख नहीं रही थी.

"दूसरी बिल्डिंग में, पड़ोस वाली आंटी के यहाँ कुछ पहुचाने के लिए जाओगी क्या?" - माँ ने पूछा.

"नहीं,नहीं, उनके यहाँ क्यों जाऊं? वहां पे कोई खेलने के लिए है ही नहीं!" - चार साल की एक छोटी सी गुडिया ने टेबल के नीचे से निकल कर, नाक-भौं सिकोड़ते हुए कहा.

"मैंने आज भजिये और ढोकले बनायें है... और..."

"मुझे भी, मुझे भी, यप्पी!"- बात पूरी होने से पहले ही परिधि उछल कर नाचने लगी.

"नहीं, अभी नहीं,रात के खाने के साथ तुम्हे ताजे परोसूंगी, अभी खाओगी तो रात के खाने की हो जाएगी छुट्टी, ह्म्म्म," - माँ ने समझाया.

"ये सब तुम पड़ोस वाली आंटी के यहाँ जाकर दे आओ, और हाँ उसमें से कुछ खाना नहीं." - माँ ने प्लेट आगे बढाई.

"अच्छा, माँ!!!" - एक अच्छी बच्ची की तरह उसने प्लेट अपने नन्हे हाथो में ले ली और अपने क्रोक्स पहन के निकल पड़ी.
थोड़ी ही देर में, परिधि पूरी प्लेट लेके वापस आ गयी.

"अरे, तुम ने तो भजिये और ढोकले दिए ही नहीं, हां, क्या शरारत है? मेरा सुनती क्यों नहीं?" - माँ ने कुछ गुस्से से बोला.

"अरे मेरी प्यारी माँ, तुम तो नमक डालना भूल ही गयी, इसलिए मैं उनके यहाँ गयी ही नहीं," - बहुत ही भोला चेहरा बनाकर और रुआंसी होकर वो बोली.

"तो इसका मतलब तुमने ये खाकर देखा क्या? बहुत शरारती हो गयी हो आजकल." - और माँ ने उसे गले से लगाकर प्यार किया और परिधि खुल कर हंस पड़ी.

खुशियों की माला के दाने चारों ओर बिखर गए और एक आंसू का मोती माँ की आँखों से.

Monday, June 18, 2012

अबोल नयन

कहते से कुछ अबोल नयन, वे दो निर्मल तरल नयन,
चंद्रप्रभा से ऐसा लगा जैसे प्रियतम आये
सत्य जानकर लेकिन अश्रु ठहर न पाये
प्रियतम वियोग के अथाह सरित में, वे दो स्नेहल कमल नयन 
[A type of lotus only blooms when there is sunlight, and its skin is so lubricious that water droplets can not stay over it.Here moonlight seems like the sun for Lotus, but it is not]
क्यूँ हार जाता हूँ उस अपराजित से
मंद मंद मुस्कान मंद स्मित से
प्रणय परिपूर्ण पासंग में,जीत में, वे दो चपल रमल नयन
चिर चंचल प्रकृति की, अदभुत कृति में
तेरे नयनो की अभिलाषा,मेरी हर कृति में
अनंत भाव मरुस्थल की अबूझ प्रीत में, वे दो सजल मृगजल नयन
आनंद ताम्बे
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सजल/तरल = Watery
अबोल = Silent
सरित = River
स्नेहल = स्निग्ध, lubricious, Glossy
पासंग = Setting/Preparation for play, Counterweight for balance
रमल = Dice
कृति = Artwork
प्रीत = Love
मरुस्थल = Desert
मृगजल = Mirage
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